जब भी बैठता हूं अकेले में, मां की यादें रुला देती हैं, आज भी जब नींद नहीं आती, तो उसकी लोरिया मुझे सुला देती हैं। सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। ये ईद का दिन हर दिल को भाता है ख्वाबों का सफर। नन्हें-नन्हें क़दमों से माँ आए आपके द्वार, https://sites.google.com/view/navratrishayari/